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लॉर्ड मैकाले : जिसने शुरू की अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था
भारत में पाश्चात्य शिक्षा के विकास का प्रथम चरण

भारतीय इतिहास ( Bharat Ka Itihas ) में शिक्षा के क्षेत्र में मैकाले के योगदान के संदर्भ में छात्रों में बहुत बड़ा अंतर है। कुछ लोग उन्हें विकास पथ के पथ प्रदर्शक के रूप में नहीं भूलते हैं, जबकि कुछ उन्हें अंग्रेजी प्रशिक्षण के विस्तार के कारण भारत में पैदा हुए असंतोष और राजनीतिक अशांति के लिए जवाबदेह नहीं हैं। कुछ छात्र भारतीय भाषाओं, उपसंस्कृति और धर्म के बारे में जानकारी की कमी की कड़ी आलोचना करते हैं, इसे निंदनीय न भूलें, यहां तक ​​​​कि कुछ उन्हें भारतीय भाषाओं को एक तरफ धकेलने के लिए दोषी ठहराते हैं। मैकाले को प्रगति के पथ का पथ प्रदर्शक कहना उनकी अत्यधिक प्रशंसा करना है। मैकाले की अनर्गल शिकायत और भारतीय साहित्य और धर्म का उपहास निश्चित रूप से निंदनीय है। भारत में ब्रिटिश शासकों ने उनके इस सिद्धांत के साथ पत्र दिया कि- 'अगर किसी देश को गुलाम रखना है तो उसके साहित्य और उपसंस्कृति को नष्ट कर देना चाहिए। इस बात का समर्थन किया कि पश्चिमी तकनीक से भी भारत को लाभ हुआ। नई समझ और स्कूली शिक्षा ने भारत में सामंजस्य स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाई। पश्चिमी देशों में भारतीयों को वैज्ञानिक अध्ययन और उपलब्धियों से परिचित कराया और भारतीय भाषाओं के विकास में योगदान दिया, जिसके परिणामस्वरूप इनमें से कुछ भाषाओं को कॉलेज तक इसी तरह स्कूली शिक्षा के लिए योग्य बनाया जा सका। मैकाले ने आधुनिक भारत ( Adhunik Bharat Ka Itihas )की शिक्षा का स्वरूप ही बदल डाला। 

आगे पढ़े लॉर्ड मैकाले की शिक्षा नीति  के बारे में