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1857 की क्रांति के कारण
1857 की क्रांति के कारण

 1857 ई. से पहले आधुनिक भारत ( Adhunik Bharat Ka Itihas )में ब्रिटिश बिजली के खिलाफ छिटपुट सैन्य विद्रोह हुए थे। 10 जुलाई 1806 को वेल्लोर में कंपनी की सेना के स्थानीय सैनिकों ने विद्रोह कर दिया। 30 अक्टूबर 1824 को कलकत्ता के पास बैरकपुर छावनी में प्रकाशित भारतीय सैनिकों की एक टुकड़ी को बर्मा में युद्ध का दौरा करने का आदेश दिया गया। भारतीय दस्ते ने विदेश जाने से इनकार कर दिया। इस पर उन जवानों को बागी बताते हुए उन पर बंदूकों से फायरिंग कर दी गई। कई दस्तों को फांसी दी गई। पूरी रेजिमेंट भंग में बदल गई। 1831-33 ई. में कील में विद्रोह हुआ। 1842 ई. में हैदराबाद में, 1843 ई. में सिंध में सैन्य विद्रोह हुए। फरवरी 1844 में फिरोजपुर की चौंसठवीं रेजीमेंट में विद्रोह हो गया। 1848 ई. में कांगड़ा, जस्वर और दातापुर के राजाओं ने विद्रोह कर दिया। कंपनी के अधिकारियों ने इनमें से अधिकांश विद्रोहों को सही ढंग से दबा दिया। लॉर्ड डलहौजी ने अपनी एक रिपोर्ट में चार्ल्स नेपियर की चेतावनियों का हवाला दिया जिसमें उन्होंने भारतीय सेना के भीतर बढ़ते असंतोष का संकेत दिया था। और यह भारत के इतिहास( Bharat Ka Itihas ) की सबसे बड़ी क्रांति साबित हुई। 

 

1857 की क्रांति के कारण

1857 के विद्रोह के पीछे अनेक कारण थे जिसने इसे एक राष्ट्रीय रूप दिया-